Activities conducted by Swabhiman Society during the year 2019-20
Program conducted
- 14 अप्रैल को कुरुक्षेत्र में 300 मैला ढोने वाली महिलाओं को पुरे राज्य स्तरीय पर जागरूक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- अगस्त मैं 30 दलित महिलाओं को लीडरशिप की ट्रेनिंग दी गई जिसके द्वारा दलित महिलों में जेंडर आधारित क्षमता को और भारत में महिला आन्दोलन और दलित महिला आन्दोलन की स्थिति के बारे में ट्रेनिंग दी गई।
- 26 दलित महिलाओं को संगठन के बारे में ट्रेनिंग प्रदान की गई। और किस प्रकार से संगठन के द्वारा महिलाओं को संगठित कर सकते हैं उसके बारे में सिखाया गया।
- 7 जिलों से 25 गाँव की 480 दलित महिलाओं और लडकियों को उनके हक और अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया।
- 4 जिलो मे वकीलों के साथ मीटिंग करके उनके ग्रुप बनाए। जिसके द्वारा पीड़ित दलित लडकियों को क़ानूनी सहायता फ्री में प्रदान की जा रही हैं।
- मार्च में 27 युवा दलित लड़किओं की सामाजिक, प्रशासनिक और कानूनिक क्षमता को बढ़ाने के लिए ट्रेनिग का आयोजन किया।
- दलित महिलाओ पर हो रही जातिगत हिंसा के खिलाफ गावों -2 में महिलाओ के जागरूक सीवर लगाये। गाँव की महिलाओ की क्षमता को उनके अधिकारों के प्रति बढ़ाया।
- 26 लडकियों को सेल्फ डिफैंस ट्रेनिंग प्रदान की गई आत्म संरक्षण कार्यक्रम के द्वारा दलित लडकियों का आत्म विश्वास बढ़ाया गया।
- युवा दलित लड़किओं की सामाजिक, प्रशासनिक और कानूनिक क्षमता को बढ़ाने के लिए ट्रेनिग का आयोजन किया।
14 अप्रैल 2019 पहली सफाई कर्मचारी महिला कोंफ्रेंस कुरुक्षेत्र पंचायत भवन
वुमन एशिया फण्ड के सहयोग से स्वाभिमान संस्था व रजनी के द्वारा पहली सफाई कर्मचारी महिला कोंफ्रेन्स का आयोजन हरियाणा कुरुक्षेत्र पंचायत भवन में 14 अप्रैल के अवर पर वाल्मीकि समुदाएँ जो की भारत में मैला ढोने का कार्य करते हैं इस समुदाए की महिलाएं एक ऐसा इतिहास, जिसको ना तो कोई जाना चाहता हैं! न ही कोई लिखना चाहता हैं। इसी छीपे हुए इतिहास को आज भारत के सामने लेकर आने के लिए ही भारत में पहली बार यह कोंफ्रेन्स की गई हैं। इसकी सुरुआत बाबा शाहिब जी के जन्मदिवस के अवसर पर बाबा शाहिब जी के मूर्ति के सामने कैंडल जलाकर, फूलमाला अर्पित की ज्ञानों देवी, बीरमती जिनकी आयु 85वर्ष हैं इसके बाद कोंफेन्स की सुरुआत हुई । स्वाभिमान संस्था की युवा टीम ने जय – जय भीम सोंग पर डांस प्रस्तुती की! इसके बाद मनीषा, रजनी ने इसके पीछे के इतिहास के बारे में जब बात की व बताया! कि आज यहाँ हमारी जो महिलाएं बैठी हुई हैं उनमें से कितनी युवा लडकियाँ या महिलाएं ऐसी हैं जो इस प्रकार के कभी कोन्फ्रेंस में गई हैं। तो महिलाओं की आखें आसुओं से भरी और बोलती अगर हमें यहाँ आने का वो लोग मोका देते तो आज हम उनके घरों का मलमूत्र साफ नहीं करते हुए होते। एक भी महिला ऐसी नहीं थी जो इस कोंफ्रेन्स से पहले कभी इस प्रकार की कोंफ्रेन्स या मींटिग में गई हो, क्योंकि हमारे समाज के लोगों तक! अभी तक किसी भी प्रकार के जागरूकता को फ़ैलाने का कार्य किसी ने किया ही नहीं हैं।अधिकतर हमारी महिलाएं मैला ढोने का कार्य कर रही हैं।
सभा में आई महिला पन्नों देवी ने बताया कि मैं पिछले 20 सालों से अपने इस कार्य को छोड़कर कोई दूसरा कार्य करना चाहती हूँ परन्तु मेरी किसी ने नहीं सुनी हैं। आज पहली बार मुझे किसी ने स्टेज पर चढाया हैं नहीं तो हम तो सिर्फ कुडें तक ही सीमित रहे हैं।
एक ममता नाम की महिला ने कहा? बेटा मनीषा मैंने तो जिन्दगी में आज पहली बार देखा हैं आप को बोलते हुए! मैं इससे पहले कभी सोच ही नहीं सकती थी। कि हमारे समाज में पैदा हुई कोई बेटी या महिला ऐसे बात कर सकती हैं। और आज हम यहाँ आई और ये सब कुछ देखने को मिला तो आज दिल में ये ख़ुशी हुई हैं कि कही तो हम खड़ें हुए हैं। कोई तो जगह अब इससे पीछे नहीं जाना हैं अब हम ये मैला ढोने वाला कार्य छोड़ना चाहते हैं इससे ज्यादा अब और उनके डगरों के घरों के अंदर गोबर के बीच बैठकर हम खाना नहीं खाएगे। हम भी इन्शान हैं जानवर नहीं? जो ये लोग हमें जानवर के जैसे देखते हैं व बर्ताव करते हैं। इस कोंफ्रेन्स के माध्यम से आज हमें ये मौका इसलिए मिला हैं क्योंकि हमारे समाज मी बेट्टिया आज जो पढकर यहाँ तक पहुंची। नहीं तो, हमारे लिए सरकार क्या हैं? जिस देश में हमें सम्मान नहीं दिया जाता हैं उस देश में हमारे ह्क्क की तो कौन बात करेगा?
इस सफाई कर्मचारी महिला कोन्फ्रेंस की मुख्या खाशियत थी कि इसमें हमारे समाज की शिक्षित, अशिक्षित, महिलाएं व युवा पढ़ी लिखि लड़कियां और अधिकारी महिलाएं सब एक साथ एक पैनल पर बैठी हुई थी। हमारे देश में इतने महिलाओं पर कार्य करने वाले संगठन हैं और सरकारी की सिर्फ नाम सैक योजनाएं जो महिलाओं के विकास व बदलाब की बाते करती हैं। किसी ने भी एक ऐसा तपका जो मलमूत्र के नीचे दबा दिया गया हो। उनको जागरूक करने के लिए या मंच पर लेकर आने का कार्य किसी ने नहीं किया हैं। ये भी हमारी महिलाओं का वायलेस हुआ हैं। जिसका जिम्मेवार पूरा समाज हैं क्योकि इसकी वजय से आज हमारे समाज का हायर एजुकेशन में शिक्षा का स्तर 0.6% हैं जो कि हमारे समाज के साथ बहुत बडी असमानता हुई हैं। पर हमारा इस सभा को करवाने का यही उदेश्य हैं कि जिस समुदाएँ को सब भूलकर और गंद के गटर में मरने के लिए छोड़ दिया गया हैं। इसका अभी अंत होना चाहिए नहीं तो ये किसी के लिए भी सही नहीं होगा। क्योकि एक सम्मान जनक जीवन जीने का हमारा मूलभूत अधिकार हैं। पर आज हमारे पास ये अधिकार भी नहीं हैं क्योकि इसको सुरक्षित रखने के लिए हमारे पास आर्थिक समता नहीं हैं।
हम हमेशा से ये सुनते आएं हैं कि इस समुदाएँ के लोग कभी इकठ्ठे नहीं होते हैं। परन्तु इस समुदाएँ की भारत में पहली बार मैला ढोने वाली महिलाओं की ये सम्मेलन का जब हमने आयोजन हरियाणा में करने का निर्णय किया! तो हमारे पास सिर्फ 10 दिनों का समय था, जिसमें हमने यह अनुमान नहीं लगाया की एक ऐसा राज्य जो कि पुरुष प्रधानता में सबसे पहले नम्बर पर व दलित महिलाओं पर हिंसा के नाम में हमेशा सुर्ख़ियों पर रहा हैं। इस सभा के लिए जब हमने होल बुक करने के लिए जाते, तो सबसे पहले मैला ढोने वाली महिलाओं की सभा का नाम देखकर सब होल के लिए मना कर देते। इसलिए लिए हमें खुद हमारे लोक्ल स्तर पर जो बाबा शाहिब जी के नाम पर जो भवन हैं उनमें भी स्थान नहीं मिल पाया।
यह सभा मैला ढोने वाली महिलाओं के लिए तभी सम्भव हुई? जब हमने इस कार्यक्रम के नाम का विषय बदल कर दुसरे नाम से होल बुक किया। इस कोंफ्रेन्स के लिए हम सिर्फ आमंत्रित करने के लिए सिर्फ 170 महिलाओं तक ही पहुंच बना पाएं थे परन्तु यह इतना इतिहासिक और खास दिन था हमारी महिलाओं के लिए इस सभा में 285 महिलाएं आई। जो की ऐसे समय पर जो गेंहूँ का सीजन होता हैं हमारे लोगों के लिए बिलकुल भी सम्भव नही था। परन्तु फिर भी हमारी महिलाएं अपने छोटे – छोटे बच्चो को साथ लेकर भी इस सभा में पहुंची। जिस वक्त पर किसी भी मजदूर समुदाएँ से आने वाले लोग के पास एक मिनट का भी टाइम नही होता उस समय पर ये हमारे लिए एक इतिहासिक पहल हैं।
- जिस देश में एक बड़ा तपका इस प्रकार का अपमानजनक कार्य कर रहा हो? और उसी देश में स्वच्छता के नाम पर करोड़ों रुपयों को स्वच्छ कार्यों पर लगाया गया हो?
- क्या इस देश में जो लोग ये नीतियाँ बना रहे हैं क्या उन मुर्ख नीतियों को चलाने वालों को ये दिखाई नही देता हैं? कि एक ऐसा तपका जो दिन रात मल – मूत्र ढो रहा हैं उस समाज की महिलाओं की स्वास्थ्य की स्थिति कितनी बुरी हैं इस कार्य के कारण और इस स्वच्छता अभियान में हमारी महिलाओं के स्वस्थ्य की भी बात होनी जरूरी थी। या फिर स्वच्छता के नाम पर टॉयलेट बनाओं और ठेकेदार को ठेका दो और हमारी महिलाओं को पूरा दिन एक – एक रुपये के लिए मलमूत्र में सड़ने के लिए बिठाओं ये हैं आपका स्वच्छता अभियान जहाँ पर बैठी हुई महिलाओ को कोई सम्मान न दे। कोई भी आवारा लोग आओं, हमारी बहनों, माँओ को गंदे इशारे करके जाओं व इसके बदले में अगर वो किसी का विरोध अगर करती हैं तो उनको बोला जाता हैं तुम बोलती हो जो दस रुपए के उपर बीक रही हो यहाँ पर टॉयलेट में। ये उन महिलाओं के अनुभाव हैं जो हर दिन इस देश में मल- मूत्र में अपना जीवन बिता रही हैं। हमारा देश बहुत आगे बढ़ रहा हैं आज हमारे कई सारे दलित संगठन दलित मुद्दों पर बात कर रहे हैं। परन्तु इस संगठ्नों ने भी इस समुदाएँ की महिलाओं की पीड़ा को अनदेखा किया हैं। अगर हम जातियाँ भेदभाव को खत्म करने की बात करते हैं तो हमें सब से अंतिम तपके से सुरुआत करने के जरूरत होती हैं। और अगर अंतिम की बात करते हैं जो वो अंतिम तपका यही हैं।
- एक ऐसा तपका जो दलित समुदाएँ में भी अधिक नीचे आज हैं जो हमेशा से समाज मैला ढोने के कार्य के लिए जाना जाता हैं।
- उसको भी कही तो लिखा जाना जरूरी हैं। दलित समुदाएँ में से ही पैदा हुआ हमारा एक समुदाएँ आज भी ऐसा हैं जो कि महादलित जाति के नाम से जाना जाता हैं।जिसमें से एक जाति हैं जो मैला ढोने के नाम से भारत में प्रसिद्ध हैं अगर आप किसी भी शहर में, गाँव में, सड़कों पर जो झाड़ू सफाई करते मिलेगे,
- मैला ढोने वाली महिलाओं की सघर्ष की इतिहास आज तक किसी ने जानने की कोशिश नहीं की है ये एक ऐसा सघर्ष हैं जिसमे बहुत बड़ा दुःख छिपा हैं अगर आज भी हम बात करे हमारी बस्तियों में कोई भी ऐसे जागरूकता के बारे में कार्य क्रम नहीं किए जाते हैं जससे हमारे समाज की महिलाओं में जागरूकता आए। फिर सब समाज के लोग हमारे समाज के लोगों को सम्मान नहीं देते हैं। जो कि बहुत दुःख की बात हैं एक जातियां पेशे वाला जो कार्य हमारे समाज के लोग कर रहे हैं ये उनके लिए अपमानित कार्य समाज ने बनाया हैं हमारे लिए ये एक साधारण कार्य की तरह से हैं।
- इस कोंफ्रेन्स में आई सभी महिलाओं ने कहा कि अब वह सफाई का काम नहीं करना चाहती हैं और इस कार्य को छोड़कर वह कोई दूसरा कार्य करना चाहती हैं जिसमें उन्हें सम्मान मिले।
- सभा में आई सभी महिलाओं ने बताया कि अगर इस प्रकार के कार्यक्रम होते रहेगे तो हमें बहुत ज्यादा जानकारी प्राप्त होगी। और तभी हमें भी कुछ जानने को मिल सकता हैं।
- इस कोंफ्रेन्स में आई सभी महिलाएं हमारे साथ जुड़कर इस कारवां को आगे लेजाना चाहती हैं! ताकि बाकि महिलाओं को भी इसके लिए जागरूक किया जा सके।
इस कोंफ्रेन्स के माध्यम से 285 मैला ढोने वाली महिलाओं को जागरूक होने का मौका मिला हैं। इस कार्य को छोड़कर वह कोई दूसरा कार्य कैसे कर सकती हैं इसके बारे में जानकारी प्राप्त हुई हैं। स्वाभिमान संस्था के द्वारा सभी महिलाओं को सील्ड देकर सम्मानित किया गया जो भी महिलाएं मैला ढोने का कार्य कर रही हैं परन्तु अब वह इस कार्य को छोड़ना कोई सम्मान जनक कार्य करना चाहती हैं।जिसके लिए स्वाभिमान संस्था के साथ जुडकर वे WFA के सहयोग से इस कार्य के लिए एक नई तरिके से इसके लिए जागरूक अभयानं चलाया जाएगा।
Village Level Program
- 15 मार्च को गांधी नगर मडर केस में पीड़ित महिला और उनके परिवार से मिले। पीड़ित परिवार ने बताया कि अभी उनकी जान को खतरा हैं। क्योकि आरोपी पक्ष के लोग लगातार पीड़ित परिवार के घर पर आ रहे हैं समझोते के लिए जिसकी वजय से पीड़ित महिला ने बताया कि उनकी परिवार को बहुत खतरा हैं।
- Swabhiman टीम ने पीड़ित परिवार की कॉसलिंग की और उनको इस केस को मजबूती से लड़ने के लिए हिम्मत दी। इसके बाद पीड़ित परिवार के साथ अगले दिन डी.सी कार्यालय में डी. सी साहिब जी से मिले और मुवाजे के बारे में बात की इसके साथ कुरुक्षेत्र एस.पी शाहीब जी से मिले और परिवार पर किस प्रकार का दबाओं बना हुआ हैं उसके बारे में बात की साथी ही यह भी बात की पीड़ित परिवार को सुरक्षा की जरूरत हैं। तभी वे बिना डर के केस को लड़ सकते हैं। नहीं तो डर के कारण पीड़ित परिवार को घर छोड़कर किसी और जगह पर जाना पड़ेगा अगर प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला तो।
- 16march बडश्यामी केस के पीड़ित परिवार से मिले उनके ऊपर आरोपी पक्ष ने केस में समझोते के लिए दबाओं बनाया हुआ हैं ताकि पीड़ित परिवार दबाओं में आकर समझोता कर ले, और वह जो रैप का केस हैं उसमें आरोपी पक्ष को सजा होने से बच जाएँ। आरोपी पक्ष पीड़ित परिवार पर दबाओं बनाने के लिए कभी किसी को, तो कभी किसी को पीड़ित परिवार के घर भेज रहे हैं।
- गाँव के लोग लगातार समझोते के लिए दबाओं बना रहे हैं पीड़ित परिवार को पैसे का लालच दिया जा रहा हैं लगातार ताकि आरोपियों को सजा से बचाया जा सके बडश्यामी केस के पीड़ित परिवार की तीन बार कौस्लिग़ करवाई गई हैं।
- Date 17march कैथल आठ महिलाओं का रैप केस को हाईकोर्ट में डालने के लिए वकील से बात की जिला कोर्ट से ये केस डिसमिस हो जाने के कारण। अभी इस केस को हाईकोर्ट में डालने के लिए वकील करना पड़ेगा।
- दिनाक 29,30 मार्च को मैला प्रथा पर कांफ्रेंस दिल्ली ISI के द्वारा आयोजन करवाया गया, जिसमें हमें भी हरियाणा की तरफ से बुलाया गया जिसका उदेश्य था कि भारत देश से मैला प्रथा का जो कार्य हैं उसको किस प्रकार से खत्म किया जा सकता हैं और इस कार्य के स्थान पर कोई दूसरा कार्य क्या हो सकता हैं? जिससे की किसी के मानव अधिकार का हनन न हो। ऐसी क्या रणनीति हो सकती हैं जिसके द्वारा पुरे भारत से इस कार्य को खत्म किया जा सके। और जो सीवरेज में मौते हो रही हैं उन पर हम कैसे रोक लगा सकते हैं।
April Activity
- Date 18/4/2019 को कुरुक्षेत्र के वाल्मीकि मन्दिर में वाल्मीकि समुदाएँ के लोगो ने एक बड़े सम्मेल का आयोजन किया एस. सी ए. बी के मुद्दे को लेकर इस कार्यक्रम में मुझे एक वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया।जिसमें सरकार से वाल्मीकि समुदाएँ ने अपने जाति के लिए रिजर्वेशन की मांग की।
- 20 अप्रेल को कुरुक्षेत्र के कॉलेज लाडवा में स्टूडेंट के साथ मीटिंग की और मानव अधिकारों के बारे में बताया व किस प्रकार से मानव अधिकारों का वायलेंसन हो रहा हैं। उसके बारे में भी बात की इस मीटिंग में कॉलेज के 150 बच्चों ने भाग लिया। इस मीटिंग का मुख्या उदेश्य था की कॉलेज छात्रों को आन्दोलन के साथ जोड़ा जाएँ ताकि उन्हें भी पता चले की हमारे लिए कानून और अधिकार कितने महत्वपूर्ण हैं। व इन अधिकारों और कानूनों का हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान हैं।
- दिनांक 22 अप्रेल को गाँव रामपुर जिला अम्बाला में Swabhiman तरफ से मींटिंग का आयोजन किया गया है जसमें 35 महिलाओं ने भाग लिया, इस मींटिग में हमने महिलाओं को कानूनों के बारे में जागरूक किया। जिसमें महिलाओं ने बताया की इस गाँव में आज पहली बार इस प्रकार से कानूनों के बारे जागरूक करने के लिए कोई आया हैं इससे पहले कोई भी हमारे गाँव में ऐसे अधिकारों और कानूनों की जानकारी देने के लिए नहीं आया हैं। इस गाँव की सभी युवा लडकियाँ हमारे साथ जुड़ने के लिए तैयार हो गई, कि हम भी इस प्रकार का कार्य करना चाहते हैं जिसमें समाज को कुछ जानकारी प्रदान की जा सके। इससे पहले हमें नहीं पता था कि इस प्रकार का भी कोई कार्य होता हैं। इस गाँव में हमारा 15 युवा लडकियों का ग्रुप बना जो की सभी स्कूल व कॉलेज की छात्राएं हैं।
- दिनांक 23/4/2019 गाँव हिगोखेड़ि में दलित इतिहास कार्य क्रम का आयोजन किया गया स्वाभिमान संस्था की और से गाँव की दलित बसती की अभी महिलाओं और बच्चों ने भाग लिया।इस कार्य क्रम के द्वारा दलित इतिहास के महीने के महत्व के बारे में बताया और दलित समाज का इतिहास व संघर्ष जो हैं वो हम सब के लिए पता होना ज़रूरी हैं इसी अवसर पर स्वाभिमान संस्था और रजनी दोनों ने मिलकर फ़ूड फ़ैस्टिवल का भी आयोजन किया इस अवसर पर ताकि जो हमारे खाने की इतिहासिक चीज़ें हैं वो भी हमारी आने वाली पीढ़ी को पता चले।
- दिनांक 24/4 /2019 को स्वाभिमान संस्था एंव हरियाणा बोबो ग्रुप ने प्लैनिंग मींटिंग का आयोजन किया जिसमें हरियाणा में दलित युवा लडकियों एंव महिलाओं की लीडरशिप को बढ़ाने के बारे में प्लानिंग किया गया।कि आने वाले समय में हम इसको कैसे बढ़ा सकते हैं।
दिनांक 8/5/2019 को स्वाभिमान की तरफ़ से एक दलित लड़की के साथ हुए रैंप के मामले में जाकर पीड़ित परिवार के लोगों से मिले और केस में कार्य वाही सही से हो इसके बारे में कुरुक्षेत्र ज़िला पुलिस अधिकक्षक से केस के बारे में सूचना प्रदान की इसके बाद पीड़ित लड़की की स्वाभिमान संस्था के द्वारा कौसलिंग की गई ताकि पीड़ित लड़की की मानसिक स्थिति जो हैं वह सही रह सके।
दिनाक 10/ 5 /2019 को कुरुक्षेत्र के बाहरी महौल में युवा लडकियों के साथ मींटिंग का आयोजन किया।जिसमें युवा दलित लडकियों को शिक्षा के बारे में जागरूक किया गया। कि किस प्रकार से शिक्षा हमारे लिए एक हथियार का कार्य करता हैं इसके दम पर हम अपने समाज और अपने परिवार दोनों में बदलाव कर सकते हैं। इसके साथ ही समाज में क्या चल रहा हैं उसके बारे में भी हम जानकारी रख सकते हैं।और किस प्रकार अपने हक और अधिकारों को हम सुरक्षित कर सकते हैं इन सब के बारे में भी हमें जानकारी प्राप्त होती हैं। इस बस्ती से हमारे साथ 10 लडकियाँ जुडी हैं जो कि अपनी पढाई के साथ हमारे साथ वोलिन्टियर के रूप में भी कार्य करेगे।
सामना न करना पड़ें।
दिंनाक 23 जुलाई को कुरुक्षेत्र के गाँव कैंथला में स्वाभिमान संस्था एंव रजनी ग्रुप के द्वारा मींटिग का आयोजन कर दलित समुदाय की महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया गया। इसके साथ ही हरियाणा में जो लगातार दलित महिलाओं के साथ 376 की जो घटनाओं से दलित समुदाय की लडकियाँ पीड़ित बनाकर उनके जीवन को खत्म कर कर दिया जा रहा हैं उनके लिए स्वाभिमान संस्था के द्वारा हरियाणा में फ्री क़ानूनी सहायता प्रदान कर रही हैं।
इस मींटिग में 20 लड़कियों और महिलाओं ने भाग लिया . मीटिंग का मुख्य बिंदु 376 के केस के बारे में जागरूकता और सुरक्षा था। महिलाओं की लीडरशीप बहुत महत्वपूर्ण है पुरुषसत्त्त्ता के सामने। इसी मीटिंग के दौरान एक रेप की कोशिश का केस सामने आया। जिसमें केस की फैक्ट फाइंडिंग की गई और पुलिस स्टेशन में एफ़आईआर पीड़ित की तरफ से की गई| जिसमें पुलिस से बोल कर 376 की धारा लग वाई गई| पीड़िता के केस दर्ज होने के बाद पुलिस कार्यवाही शुरु हुई जिसमें अपराधी से पूछताछ की गई | अभी इस केस का मामला चल रहा है पुलिस का कहना है कि समझौता किया जाये, इस तरह का दवाब पीड़िता के ऊपर है | परन्तु स्वाभिमान की तरफ से पीड़िता की यह काउंसलिंग की गई की घबराना मत इस केस में समझौता नहीं हो सकता जब तक आप ना चाहो|
दिनांक 26 जुलाई जींद जिला अधिकारी ऑफिस में गाँव की समस्याओं के बारे में जन पंचायत लगाई जिसमें 5 गाँव के लोगों ने भाग लिया और जो भी लोक्ल समस्याएँ थी उनके बारे में जिला अधिकारी को मांग पत्र दिया l मांग पत्र में पांचों गाँव की समस्याओं की एक लिस्ट जिसमें अधिकतर गाँव की बी.पीं. एल, मकान की समस्याएं, और ज़मीन की समस्याएं थीl कुछ गाँव में नलियों व पानी की समस्याएँ थी इन सभी समस्याओं का मांग पत्र जींद जिले के अधिकारी को प्रदान किया l इसके बाद 2 महीने का समय दिया अधिकारी को इस पर एक्शन के बारे में इसके दो महीने के बाद हमारी स्वाभिमान की टीम के द्वारा इसको फोलोअप किया जाएगाl
दिनांक 28 जुलाई को मिर्जापुर की वाल्मीकि चौपाल में मीटिंग का आयोजन किया गया जिसमें गाँव की 40 लडकियों ने भाग लिया इस में गाँव की लडकियों को लीडरशिप की ट्रेनिंग दी गई जिसमें हमारे साथ जिला प्रोटेक्शन अधिकारी दीप शिखा जी भी साथ रही l उन्होंने गाँव की लडकियों एवं महिलाओं को हिंसा के बारे में बताया की महिला हिंसा क्या हैं यह किस प्रकार लडकियों व महिलाओं के जीवन पर प्रभाव डाल रहा हैं इसके कारण आज घर क्यू बीखर रहे हैंl इस हिंसा का हमारे जीवन पर कैसे अधिक प्रभाव पड़ रहे हैं l हिंसा में पुरुष का स्थान कहा हैं? और एक लीडर महिला कैसी होती हैं उसका व्यक्तित्व कैसा होना चाहिएl हमारी नजर में एक लीडर कौन होता हैंl जिसको हम एक नेतृत्व के रूप में देखे या जिसको हम एक आम व्यक्ति के रूप में देखेl हमारे समाज में एक लीडर की पहचान क्या होती हैं l महिलाओं की लीडरशिप आज दलित समाज में कैसी हैंlआज क्यू हमारे दलित आंन्दोलन में दलित महिलाएं भी एक बड़ें हिस्से में भाग लेती दिखाई दे रही हैंl ये लीडरशिप की वजय हैं या दलित उत्पीडन की वजय हैं? इसका कारण दलित महिलाओं का उभरता हुआ नेतृत्व हैंl आज हम यहा पर सब बैठकर ये सभा कर रहे हैं ये हमारे नेतृत्व का उभार हैंl
- एक लडकी मीणा ने बताया कि महिला एवं लडकियों को सिर्फ एक गुलाम की नजर से देखा जाता हैंl तो हमें एक नौकर की तरह हमारे घरों में बर्ताव किया जाता हैं तो हम एक लडकी होकर लीडर बनने का सपना कैसे लेl
- इसके बाद रीना ने कहाँ? योजनाएं तो हमारी सरकार ने बना दी परन्तु उन योजनाओ तक क्या हम जैसी गाँव में रहने वाली लडकियों की पहुंच हैंl
- रितु ने कहाँ? आज इस ट्रेनिंग के बाद मुझे इतनी हिम्मत मिली हैं कि मैं अपने गाँव से सम्बन्धित समस्याओं जिला अधिकारी के सामने रख सकती हूँl
- इस प्रकार के कार्यक्रम बहुत जरूरी हैं जन जाग
आज दिनांक को महिला सुरक्षा के बारे में ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया गया | जिसकी शुरुआत रजनी जी के द्वारा की गयी उन्होंने ट्रेनिंग के समय सारणी को साँझा किया | उसके साथ ही हरियाणा में महिलाओं के साथ हो रही हिंसा और अपने कार्य के बारे में अवगत करवाया | ट्रेनिंग में आई युवा लड़कियों और ट्रेनर का स्वागत का स्वागत किया गया | प्रोग्राम में सबको एक दुसरे की पहचान हो जाये इस तरह से एक गेम के साथ परिचय किया गया जिसमें हरियाणा के अलग अलग जिलों से आई लड़कियों ने अपना परिचय किया |
सवम सुरक्षा ट्रेनिंग के बारे में रजनी जी ने बताया की हम जिस स्टेट में रह रहे है उसमें लडकियों का अनुपात हमेशा निचे रहा है इसलिए हिंसाओं ने एक मोड़ ले लिया है जिस कारण हम अपने आपको सुरक्षित माहौल में नही मान सकते है | अब हरियाणा में जो जो स्कुल और कॉलेज की लड़कियां व् जो गन्दा काम हमारी महिलाये करती है दूसरों के घरों में जिससे से उनके हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है | लेकिन अगर हम देखे तो उन घरों में हमारी महिलाओं के साथ क्या क्या नहीं होता वो शाम को आती है अकेले काम करती जो यातनाएँ, हिंसा और शोषण वो झेलती है उसको वह कहीं पर भी नहीं बताना चाहती है या बताती नहीं है जिस कारण आज की ट्रेनिंग को हमने रखा है ताकि सभी खुल कर बात कर सके और हम कैसे सुरक्षित हो उस पर चर्चा कर सके |
एक्सरसाइज:- (नरेश जी के द्वारा )सभी लड़कियों से दौड़ लगवाई गई और भीड़ में कैसे चलना है वो सिखाया गया | साथ ही योग करके सेल्फ डिफेन्स की एक्सरसाइज की गयी एक दुसरे के साथ हमला व् बचाव की ट्रेनिंग की गयी | अपने शारीर को मजबूत करने के लिए जरूरी एक्सरसाइज करवाई गयी | जिससे लड़कियों को बताया की चीख कर और मजबूत तरीके से दुसरे व्यक्ति पर हमला करना है |
मीरां जी के द्वारा अगला ट्रेनिंग से जुडी बातों और गुर को उन्होंने सिखाया की किस तरह हम अपने आप को सुरक्षित कर सकते है | उन्होंने बताया की जब भी आप किसी मुसीबत में हो या आपको लगे की मुसीबत आ सकती है तब आप खुद को कमजोर मत सोचो ये सोचो की मैं बहुत शक्तिशाली हूँ मेरे से ज्यादा और कोई नहीं | तब आप उस स्थिति से खुद को निकल सकते हो क्योंकि आप से डर लगना चाहिए न की सामने वाले से आप डर जाओ | आज का जो समय है उसमें बहुत तेजी से परिवर्तन आ रहा है इसलिए हम लड़कियों को भी बहुत मजबूत होकर जवाब देना आना चाहिए तभी जाकर हम घूम फिर सकते हैं |
इसके साथ ही एक लड़की जिसका नाम मनजीत है उन्होंने बताया की मेरी डाक्यूमेंट्स कहीं पर रुक्के हुए थे और मैं बहुत अकेली और कमजोर महसूस कर रही थी जिस की वजह से मुझे बहुत टार्चर भी होना पड़ा लेकिन एक दिन मुझे बहुत गुस्सा आया मैंने उस आदमी को थप्पड़ मारा जिसने मेरे कागज नही दिए थे फिर वो डर गये और उन्होंने मेरे पुरे डाक्यूमेंट्स वापिस कर दिए |
उसके बाद तमन्ना ने बताया की मेरे साथ जो की जो मेरे साथ घटना हुई उसने मुझे बहुत तोड़ दिया था उसके बाद मैंने ठान लिया की मैं इन अपराधियों को सजा दिला कर रहूंगी फिर मैंने मेरे पापा के ऍफ़. आई. आर करवाई ताकि मैं न्याय पा सकू |
नरेश जी ने बताया की मेरी बचपन बचपन में शादी हो गयी थी उस वक्त मुझे कोई समझ नहीं थी जिस कारण मैंने ससुराल में बहुत उत्पीडन झेलना पड़ा लेकिन मैंने खुद हिम्मत की और आज मैं अपना खुद का गुजरा कर रही हूँ अब सब मेरे साथ है लेकिन जब मुझे जब जरूरत थी तब कोई भी साथ नहीं था इसलिए खुद की हिम्मत खुद बनना पड़ता है |
निशु ने बताया की मेरे पिता जी गुजर गये है लेकिन मेरा भाई मेरी शिक्षा में सपोर्ट कर रहा है तो मैं चाहती हूँ की मैं खुद इस तरह का सामाजिक कार्य कर सकूं और गरीब पीड़ित लड़कियों की हेल्प कर सकूं |
उसके बाद आप खुद को सुरक्षित करने के लिए किस तरीके के उपाय सोचते है :- रजनी जी ने कहा की जब आप अपनी स्थिति देखते है उस वक्त क्या ऐसा लगता है की हम खुद इसका उपाय ढूढ़ सकते है | एक चार्ट पेपर के द्वारा प्रेजेंटेशन किया गया | हर एक लड़की के अपने अपने अलग विचार रहे | कोमल ने कहा की मैं आईपीएस बनकर खुद की और दूसरों की सुरक्षा कर सकती हूँ
शबनम ने कहा की मैं वकील बनकर सभी को न्याय दिला कर सुरक्षित कर सकुंगी |
तमन्ना ने कहा की मैं सपोर्ट के द्वारा खुद को मजबूत समझती हूँ इसलिए मुझे यही मेरी ताकत लगती है |
पिंकी ने कहा की जब तक हम शिक्षित नहीं है तब तक हम गुलाम है अगर हम शिक्षित हो जाते है तो हम अपने आपको पढ़ा लिखा व् गर्व महसूस होता है की हमारे पास समझ है हम कुछ कर सकते है
पूजा ने कहा की इस तरह की ट्रेनिंग से हम बहुत कुछ सीखते है जिससे हम अपने आगे की प्लैनिंग कर सकते है की हमे मिलकर कुछ ऐसा करना चाहिए की हम एक दुसरे को तुरंत बुला सके और हेल्प कर सके |
सभी को होम वर्क दिया गया की खुद की सुरक्षा के नये गुर बताने है और एक्सरसाइज भी करके आनी है कल के लिए |
दुसरे दिन :- दुसरे दिन की सुरुआत में रजनी जी ने सभी का स्वागत किया गया और पहले दिन का रिव्यु किया गया चार ग्रुप बनाये गये सभी के एक लीडर ने आगे आकर विवरण किया | उसके बाद आगे की करवाई सुरु की गयी |
रजनी जी ने बताया :-
- यदि आप कभी अकेले पड़ जाते हो और आपके पास कोई नहीं है तब आपको खुद को सुरक्षित करने के लिए चाकू साथ में रखना चाहिए |
- आपको घटना स्थल से भागने की कोशिश करनी चाहिए |
- आपको अपने साथ सबसे सस्ता नमक मिर्ची पाउडर रखना चाहिए यदि कोई आपके उपर हमला करता है तब आप इन चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए |
- आपको जोर से चिल्लाना चाहिए ताकि कोई आपकी आवाज सुनकर आपकी मदद कर सके |
- फ़ोन को हमेशा हाथ में रखो 100, 1091 पर पुलिस को फ़ोन करना चाहिए आप फ़ोन कॉल से भी ऍफ़ आई आर करवा सकते है |
- घर से अकेले चलने से पहले अपने आरामदायक कपड़ो को पहन कर चलना चाहिए |
- हमेशा चोकने होकर चलना चाहिए |
- हमेशा भीड़ वाले रस्ते से चलना चाहिए चाहे आप लेट हो जाओ शोर्ट कट रास्ता अगर ख़ाली है तो उसमें से न चले | चलते वाहनों की हेल्प ले जिसमें महिला यात्री बैठी हो उसको भी पहचानो की वो सही है क्या |
- स्वमं सुरक्षा ट्रेनिंग की एक्सरसाइज अनीता जी उतराखंड के द्वारा की गयी |
उन्होंने सभी लड़कियों को खड़ा करके एक्सरसाइज करवाई की हम अपने ऊपर हावी होने वाले व्यक्ति को कैसे रोक सके है उनके पंच मरना है कहा मरना है इस तरह से सभी युवा लड़कियों ने जोड़े बनाकर प्रैक्टिस की | और एक दुसरी को गिराया अपने उपर हावी नहीं होने दिया | नाक, आंख छाती और निचले हिस्से पर चोट मरना बताया और ईच ,नी ,सन्न की प्रैक्टिस की गयी | उन्होंने बताया की जोड़ो पर कैसे घूमना और घुमाना है दुसरे व्यक्ति को | हमेशा चोकने होकर चलना चाहिए और दुसरे इंसान को भी मौका नहीं देना चाहिए हो कोशिस करनी चाहिए लेकिन ये भी देखना चाहिए की कौन व्यक्ति कितना बड़ा और पॉवरफुल है |
सभी को चार्ट पर एक्सरसाइज करवाई गयी की उनका फ्यूचर प्लैनिंग क्या है काम को लेकर |हर एक लड़की के द्वारा एक चार्ट पर अपने फ्यूचर का प्लान किया और उसको शेयर किया | सबका अलग विज़न था लेकिन मिशन एक की हमें समाज के कार्य करने है | सभी से ट्रेनिंग के बारे में पूछा गया की क्या सीखे है आप इस ट्रेनिंग से :- पिंकी ने बताया की पहले हमें ये नहीं पता था की हम क्या और कैसे खुद को बचाव कर सकते है लेकिन हमें यहाँ आकार सिखने को मिला है | सब्नम ने बताया की हम अपने साथ अब कुछ न कुछ अपने बचाव की चीजे ले कर चलेगे | मंजीत ने कहा की मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं चाहती हूँ की हमारे गाँव में ये ट्रेनिंग की जाये | कोमल ने कहा की मैं सभी लड़कियों को इकठा करूंगी और हमारे गाँव में आप ट्रेनिग देने के लिए आ जाना | निशु ने कहा की मैं आपके साथ इस तरह की सभी ट्रेनिंग अटेंड करना चाहती हूँ | इस तरह सभी ने अपने विचार साँझा किये | रजनी जी के द्वारा सभी को धन्यवाद् किया गया और एक दुसरे के साथ जुड़े रहने के लिए आग्रह किया |
हरियाणा के 6 जिलों के 25 गाँव में जागरूक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया स्वाभिमान संस्था के द्वारा।
- कुरुक्षेत्र – गाँव :- भगवानपुर, गांधीनगर, आमीन।
- करनाल – गाँव :- मुखाला , सेखुपुरा।
- युमनानगर – गाँव :- जठलाना,
- कैथल – गाँव :- राजौंद
- जींद – गाँव :- सेवाही
- पानीपत – गाँव :- नोर्थल
जिसमें 25 गाँव की 480 महिलाओं को जागरूक किया गया। गाँव में घर – घर जाकर महिलाओं और लड़कियों को उनके अधिकार और क़ानूनों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्रदान की गई। इसके साथ – हर गाँव में एक नोटिस बोर्ड की व्यवस्था का प्रावधान किया। जिसके द्वारा गाँव की महिलाओं को भी जो भी योजनाएं या फिर जरूरी सूचनाएं हैं दिन – प्रति – दिन उनको इस बात की जानकारी प्रदान की जा सके। जिससे के गाँव की महिलाओं को जो भी गाँव में दिन प्रति दिन जो योजनाएं या फिर कोई भी खास घटना अगर कही पर भी घटती हैं तो उसके बारे में भी उस नोटिस बोड के द्वारा सुचना प्रदान की जाएगी।
इसलिए हमारे द्वारा गाँव – गाँव में किए गए यह जागरूक कार्यक्रम बहुत अधिक कार्यगार सिध्द्ब हुए हैं। और इसके द्वारा ही हमारे अनेक गाँव में नेटवर्क भी बिल्ड़अप हुए हैं।
इस कार्यक्रम के द्वारा हमारे 480 महिलाओं को जागरूक करने का मौका मिला हैं तथा महिलाओं और लडकियों तक हमारी सीधे सम्पर्क बने हैं जिससे के गाँव में पहले जो भी समस्या होती थी उस पर कोई भी बात नहीं करता था परन्तु इस जागरूक कार्य कर्मों के द्वारा गाँव की लडकियों और महिलाओं को घरलू हिंसा के बारे में, पोक्सो एक्ट के बारे में, अर्थात रैप जैसे घटनाओं से हम किस प्रकार कानूनों की सहायता से सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं उसके बारे में जानकरी मिली हैं ग्रामीण इलाके की महिलाओं को भी।
महिलाओं का हमारे साथ जुड़ाव :-
इस कार्य क्रम के द्वारा कुछ गाँव की जो लडकियाँ हैं वह अभी कुछ भी गाँव में अगर समस्या अगर हैं उससे सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे कार्यालय तक भी आने लगे हैं जो लडकियाँ गाँव से बाहर नहीं आती थी वह अभी खुद बस व ओटो से सफर करने लगी हैं अकेले तो ये एक बहुत बड़ा बदलाव दिखाई दे रहा हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च स्वाभिमान संस्था के द्वारा कुरुक्षेत्र में आयोजन
- युवा दलित लड़किओं की सामाजिक, प्रशासनिक और कानूनिक क्षमता को बढ़ाने के लिए ट्रेनिग का आयोजन किया। जिसके माध्यम से हम पीड़ित और जो हमारे संस्था के साथ युवा लडकियाँ जुडी हुई थी उनकी समता में इतनी वृद्धि हुई कि उन्होंने अपने गाँव में होने वाली समस्याओं के खिलाफ खुद कार्य करना सुरु किया हैं। जिसके द्वारा युवा लडकियों ने भगवान पुरा गाँव की दलित महिलाओं की मकान की समस्यां को लेकर उन्होंने खुद सम्बन्धित अधिकारी और सरपंच से मिली और इस समस्यां के हल के लिए एक उचित कदम उठाया। और इस कार्यक्रम के माध्यम से 27 युवा दलित लड़किओं की सामाजिक, प्रशासनिक और कानूनिक क्षमता वर्धन किया गया। जिससे उनको अपनी समता और पावर के बारे में ज्ञान हुआ। जिससे ये भी पता चला की किस प्रकार हम अपनी योगता के आधार पर समाज में बदलाव कर सकते हैं। और अभी यह सभी लडकियाँ हमारे आन्दोलन के साथ जुडी हैं जिससे हरियाणा में महिला संगठन की मजबूती स्थापित हुई हैं।
- स्वाभिमान संस्था के द्वारा दो दिवसीय ट्रेनिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें 27 युवा लडकियों ने भाग लिया जिसमें हमने इस दो दिवसीय कार्यशाला में 27 लड़कियों का क्षमता वर्धन किया। इस कार्यशाला में आई हुई लड़कियों को उनके अपने जीवन में बदलाव को लेकर और हमारे समाज में जो आर्थिक, राजनीति, समाजिक व क़ानूनी क्षमता बर्धन किया गया। इस ट्रेनिंग कार्यक्रम के द्वारा लड़कियों को पता चला की हमारे समाज में क्या – 2 महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। और इन मुद्दों पर हमें किस प्रकार कार्य करने की जरूरत हैं। समाजिक बदलाव के लिए समाजिक मुद्दों के बारे में जानकरी होना बहुत जरूरी हैं अगर समाजिक मुद्दों के बारे में जानकरी नहीं हैं जो हम समाजिक बदलाव नहीं कर सकते हैं। इसलिए हमें सब से पहले मुद्दों को समझ होना जरूरी हैं।
- पहले सबको मुद्दे के बारे में ग्रुप वर्क करने के लिए कहाँ गया? इसके बाद एक – एक मुद्दे के बदलाव और पहचान करना किस प्रकार करेंगे। उसके बारे में सिखाया गया।
- मुद्दे पर कार्य करके कैसे बदलाव हो सकता हैं।
इसके बाद जब युवा लडकियों को समझ में आ गया कि मुद्दा क्या होता हैं। उसके बाद फिर एक मुदे को पहचान के उसमें कार्य प्रणाली के द्वारा बदलाव के बारे में बताएं कि आप किस प्रकार बदलाव करेंगे। जिससे की समाज में पूर्ण रूप से हम बदलाव देख सकते हैं।
रैप क्या होता हैं?
- अगर कोई भी महिला के साथ कुछ भी अगर उसके साथ कुछ भी गलत होता हैं तो वह उसी समय पर पुलिस स्टेशन जा कर रिपोर्ट लिखता सकती हैं उसी समय पर महिला की या बच्ची की पुलिस को कम्पलेट लिखनी होगी तभी उसको पुलिस को बच्ची को हॉस्पिटल ले जाकर उसका मेडिकल करवाना होगा। इसके बाद जो 164 के बयान होते हैं उसके बारे में बताया। जिससे लडकियों ने बताया की इस प्रकार की जानकारी उनको पहली बार मिली हैं जो कि उनके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी हैं। जो एक हमें नए बदलाव की और लेकर जाएगी।
- इस अवधि के अंत में हम हरियाणा के 6जिलो के 30 गाँव में 780 महिलाओ को उनके हक़ और अधिकारों के बारे में जागरूकता प्रदान की गई स्वाभिमान संस्था के द्वारा। और 15युवा
- लडकियो की लीडरशिप की क्षमता को बढ़ाया गया। और उन युवा लडकियों की लीडरशिप योग्यता के द्वारा समाज में हो रहे ,अत्याचारों के खिलाफ प्रशासन को उत्तरदाई बनाने के लिए कार्य किया जा रहा हैं। जोकि
- दलित महिलाओ को हिंसा से मुक्ति के लिए एक बहुत नया रास्ता हैं। दलित वकीलों के ग्रुप के माध्यम से 5 केसों में हिंसा से पीड़ित महिलाओं को फ्री क़ानूनी सहायता प्रदान की जा रही हैं।